दीपक जलाने का मन्त्र हिंदी और संस्कृत में – Deepak Jalane Ka Mantra in Hindi

दीपक जलाने का मन्त्र हिंदी और संस्कृत में – Deepak Jalane Ka Mantra in Hindi Sanskrit Mein Lyrics With Hindi Meaning Lines Text Fontदीपक जलाने का मन्त्र हिंदी और संस्कृत में - Deepak Jalane Ka Mantra in Hindi Sanskrit Mein Lyrics With Hindi

भारत के घरों में हर दिन दीपक जलाने की परम्परा प्राचीन काल से रही है. पूजा के समय विशेष दीप प्रज्वलित किए जाते हैं. इस लेख में हम आपको दीपक के 3 मन्त्र बतायेंगे. पहले दो मन्त्र प्रतिदिन पूजा में दीपक जलाते समय बोला जाता है. दूसरा मन्त्र किसी विशेष पूजा को शुरू करने से पहले रक्षा दीप जलाते वक्त बोला जाता है. तीसरा मन्त्र शाम में घर में दीपक जलाते समय या घर में लैप्म या बल्ब जलाते समय ( यानि शाम में कमरे में प्रकाश करते समय ) बोला जाता है. इस मन्त्र का उपयोग सार्वजनिक आयोजनों में दीप प्रज्वलित करते समय भी किया जाता है.

Deepak Jalane Ka Mantra in Sanskrit Mein Lyrics With Hindi Meaning

Highlight ( कुछ खास बातें दीपक जलाने के बारे में )
1. पूजा से पहले रक्षा दीप जलाना चाहिए.
2.पूजा करने के दौरान अलग दीपक जलाना चाहिए.
3. पूजा करने के दौरान दीपक नहीं बुझना चाहिए.
4. पूजा के दीपक या रक्षा दीप को जिस स्थान पर रखना हो, वहाँ पहले थोड़ा सा अक्षत रखना चाहिए.
5. शाम होते हीं घर में बल्ब जला देना चाहिए, घर में अँधेरा नहीं रहना चाहिए. और कमरे में रौशनी होते हीं शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यं धनसंपदा।
शत्रु बुद्धि विनाशाय दीपज्योति नमोऽस्तु ते।। या दीपज्योति: परब्रह्म दीपज्योतिर्जनार्दन: दीपो हरतु मे पापं दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते मन्त्र पढ़ना चाहिए.


किसी देवी या देवता के सामने दीपक जलाने का मन्त्र

देवी या देवता के सामने दीपक जलाने का मन्त्र
1. साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया |
दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्यतिमिरापहं ||
2. भक्त्या दीपं प्रयच्छामि देवाय परमात्मने |
त्राहि मां निरयाद् घोराद् दीपज्योतिर्नमोऽस्तु ते ||


रक्षा दीप क्या होता है ?

रक्षा दीप:
किसी पूजा को शुरू करने से पहले एक दीपक जलाया जाता है, जो पूरी पूजा के दौरान लगातार जलता रहता है. पूजा के बीच में रक्षा दीप नहीं बुझना चाहिए.


दीपक जलाने का यह मन्त्र पूजा शुरू करने से पहले दीपक जलाने पर बोलते हैं.

पूजा शुरू करने से पहले दीपक जलाने वाला मन्त्र
1. भो दीप देव रूपस्त्वं कर्म साक्षी ह्यविघ्नकृत् |
यावत् कर्म समाप्ति स्यात् तावत् त्वं सुस्थिरो भव ||
अर्थ – हे दीप , आप देवता स्वरूप हैं. सब विघ्नों को दूर करके मेरे कर्मों के साक्षी रूप ( आप) पूजन ( कर्म) समाप्ति तक प्रकाशित रहें.


दीपक जलाने का यह मन्त्र शाम में घर में बल्ब जलाते समय बोला जाता है.

शाम में घर में बल्ब जलाते समय बोलने वाला मन्त्र:
1. शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यं धनसंपदा।
शत्रु बुद्धि विनाशाय दीपज्योति नमोऽस्तु ते।।
Meaning: जो शुभ करता है, कल्याण करता है, आरोग्य रखता है, धन संपदा करता है और शत्रु बुद्धि का विनाश करता है, ऐसे दीप यानी दीपक की रोशनी को मैं नमन करता हूं।
2. दीपज्योति: परब्रह्म दीपज्योतिर्जनार्दन:
दीपो हरतु मे पापं दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते.
अर्थ: दीपक की ज्योति परमब्रह्म ( स्वरूप) है. दीप की ज्योति जनार्दन है. दीपक की ज्योति मेरे पापों का नाश करती है. दीपक की ज्योति को नमस्कार है.
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